भयानक रस
रणचण्डी
लूटती देख बेटी की अस्मत
माँ दौड़ी बन चण्डी आई
आँखों से बरसाती शोले
ले कृपाण रण चण्डी आई।
माँ दौड़ी बन चण्डी आई
आँखों से बरसाती शोले
ले कृपाण रण चण्डी आई।
आँख लाल,बड़ी विकराल
बनकर काल शिखण्डी आई
बांध चुनरी अपने कपाल
लेकर भाल रण चण्डी आई।
बनकर काल शिखण्डी आई
बांध चुनरी अपने कपाल
लेकर भाल रण चण्डी आई।
चढ़ी उछल वह छाती पर
चढ़ी शेरनी मानो हाथी पर
काटे पैर और काटे हाथ
कटकटाते दाँत,खिंचे आँत।
चढ़ी शेरनी मानो हाथी पर
काटे पैर और काटे हाथ
कटकटाते दाँत,खिंचे आँत।
फाड़ी छाती,फोड़ा कपाल
पहन लिया मुण्ड का माल
रक्त रंजित हो बिखरा बाल
उछाल दिया आँखे निकाल।
पहन लिया मुण्ड का माल
रक्त रंजित हो बिखरा बाल
उछाल दिया आँखे निकाल।
काट काट हवसी की लाश
फेंक दिया कुत्तों के पास
नजर दौड़ाया आसपास
कर रही हवसी की तलाश।
फेंक दिया कुत्तों के पास
नजर दौड़ाया आसपास
कर रही हवसी की तलाश।
©पंकज प्रियम