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Sunday, December 30, 2018

496.आकार बदल दो

बदल दो

साल जो बदला है तो थाली को बदल दो,
कानों में लटकती हुई बाली को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा कमाल तो कर लो
साले को बदल दो औ साली को बदल दो।।1

काम बदलना है तो सीवी को बदल दो,
गाड़ी को बदल दो औ टीवी को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा धमाल तो कर लो,
हो गयी पुरानी तो......बीवी को बदल दो।।2

खाना जो पकाना है तो चूल्हे को बदल दो,
दर्द अगर होता है तो कूल्हे को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा निहाल तो कर लो
हो गया पुराना तो.....दूल्हे को बदल दो।।3

हाल जो बेहाल है तो फिर हाल बदल दो,
धीमी पड़ी रफ्तार तो फिर चाल बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा बवाल तो कर दो,
मिल गया ठिकाना तो ससुराल बदल दो।।4

पैकेट वही रक्खो मगर सामान बदल दो,
पड़ोसन जो तड़पाये तो मकान बदल दो।
राहुल का मरियम से तो निकाह करा दो,
दहेज में फिर पूरा पाकिस्तान बदल दो।।5

शाह को मिलता है जो सत्कार बदल दो।
काम कराने का वो...संस्कार बदल दो
सरकार का जो काम है वो काम तो करे,
सो गयी सरकार तो... सरकार बदल दो।6

दुश्मनी की सारी वो.. तकरार बदल दो,
अपनों के लहू से सने तलवार बदल दो।
पत्थर जो चलाये उसे उसपार तो भेजो,
जो डूब रही नौका तो पतवार बदल दो।।7

अब पाक परस्ती के समाचार बदल दो,
नापाक इरादों का वो व्यवहार बदल दो।
कश्मीर जो मांगे तो तुम लाहौर को घेरो,
भारत का पुराना वही आकार बदल दो।।8

©पंकज प्रियम

Wednesday, November 7, 2018

469.दीवाली होगी

शुभ दीवाली होगी
मन का तिमिर जब मिट जाएगा
तन का भेद जब सिमट जाएगा
प्रस्फुटित होगा जब ज्ञान प्रकाश
अमावस में भी चमकेगा आकाश
घर घर में जब खुशहाली होगी
समझना तब शुभ दिवाली होगी।

जब नौजवानों का उमंग खिलेगा
दिल से दिल का जब तरंग मिलेगा
नव सर्जन का जब होगा उल्लास
शब्द अलंकारों का होगा अनुप्रास।
जब मस्ती अल्हड़ निराली होगी
समझना तब शुभ दीवाली होगी।

हर हाथ को जब काम मिलेगा
हर साथ को जब नाम मिलेगा
कर्ज में डूबकर ना मरे किसान
फ़र्ज़ में पत्थर से न डरे जवान
जीवन में ना जब बदहाली होगी
समझना तब शुभ दीवाली होगी।

भूखमरी, गरीबी और बेरोजगारी
इससे बड़ी कहाँ और है बीमारी
इन मुद्दों का जब भी शमन होगा
सियासी मुद्दों का तब दमन होगा
गली-गली सड़क और नाली होगी
समझना तब शुभ दीवाली होगी।

जब सत्य-अहिंसा की जय होगी
संस्कृति-संस्कारों की विजय होगी
जब हर घर ही प्रेमाश्रम बन जाए
फिर कौन भला वृद्धाश्रम जाए।
मुहब्बत से भरी जब थाली होगी
समझना तब शुभ दीवाली होगी।

जब कोख में बिटिया नहीं मरेगी
दहेज की बेदी जब नहीं चढ़ेगी
जब औरतों पर ना हो अत्याचार
मासूमों का जब ना हो दुराचार।
जब माँ-बहन की ना गाली होगी
समझना तब शुभ दीवाली होगी।

मुद्दों की फेहरिस्त है लम्बी इतनी
लंका में पवनसुत पूंछ की जितनी
सब पूरा होना समझो रामराज है
राम को ही कहाँ मिला सुराज है!
अयोध्या में जब वो दीवाली होगी
समझना तब शुभ दीवाली होगी।
©पंकज प्रियम
7.11.2018

Sunday, November 4, 2018

467.सरकार

सरकार
सरकार का नही रहा अब कंट्रोल 
फिर मंहगा हो गया डीजल पेट्रोल.

गैस-डीजल के भी बढ़ते दाम
रोटी-नमक भी नहीं अब आम।
खाना भी अब खजाना होगा
म्यूजियम में ही सजाना होगा।
गरीबों को बस मिलती फटकार
कॉरपोरेट की जेब में सरकार।
जनता को छोड़ा है बीच बाजार
कल्याणकारी नहीं अब सरकार।
कुछ नहीं खुद करती सरकार
पीपीपी मोड पे चलती सरकार।
किसानों में कर्ज का हाहाकार
माल्या मोदी हो जाता तड़ीपार।
खूब हवाई सैर करती सरकार
जनता पे पड़ती महंगाई की मार।
©पंकज प्रियम