बंगाल देख लो
जल रहा है कैसा ये बंगाल देख लो,
शांतिदूत गुंडो का जंजाल देख लो।
मर रही जनता वो क्या कर रही ममता?
उसके ही शह पे फैला ये संजाल देख लो।
कानून बना है जो नया, क्यूँ बवाल है?
पीड़ित को न्याय मिला, क्यूँ सवाल है?
घुसपैठियों ने लूटा है इस देश को हरदम-
अब हटने की बारी पे हुआ क्यूँ बेहाल है?
श्रीराम के नारों से भड़क जाती हो ममता,
लाठी लिये उठा सड़क जाती हो ममता।
हर ओर लगी आग मगर चुप क्यूँ हो देवी?
बंगलादेशी नाम हड़क जाती हो ममता।
मासूमों पे बन आयी, मगर सो रही ममता,
बच्चों के लहू पर भी, नहीं रो रही ममता।
रक्त से रंजित है जमीं, खौफ़ में जनता-
जेहादियों गुंडो को मगर ढो रही ममता।।
©पंकज प्रियम
15.12.2019