Wednesday, October 27, 2021

931.ज़ख्म मेरा रो रहा

*ज़ख्म मेरा रो रहा*

क्या कहूँ कैसे कहूँ माँ, दर्द कितना हो रहा?
दूर तुमसे हूँ जो हरपल, ज़ख्म मेरा रो रहा।

गर्भ से बाहर निकलकर, किस जहाँ हम आ गये,
पास में तुम भी नहीं हो, ये कहाँ हम आ गये?

दूध की चाहत अधर को, पर दवाई पी रहे,
अंग उलझे तार नस-नस, ज़िंदगी ये जी रहे।

क्या ख़ता थी मेरी ईश्वर, जो सज़ा मुझको दिया,
रातदिन सब पूजते फिर, क्यूँ दगा मुझको दिया?

बालमन भगवान मूरत, नासमझ होते सभी,
दर्द देकर क्या तुझे भी, चैन मिलता है कभी?

तुम कृपा करते हो हरदम, देव दानव पर सदा,
क्यूँ परीक्षा लेते भगवान, पूजते ईश्वर सदा।

मौत से खुद लड़ रहे हैं, तुम तनिक तो साथ दो,
जीतकर बाहर निकलने, तुम जरा सा हाथ दो।
©पंकज प्रियम

Tuesday, October 26, 2021

930. दर्द अब दिखता नहीं

*दर्द अब लिखता नहीं*

क्या लिखूँ कैसे लिखूँ मैं? दर्द अब लिखता नहीं,
कष्ट कितना हो रहा है,   अब कहीं दिखता नहीं।

आयी थी मुस्कान लेकर,     मौत से तू लड़ रही,
दूध के बदले शिरा में,       औषधि ही चढ़ रही।

गोद का अरमान होगा, बेड की किस्मत मिली,
दूर है अपनों से हरपल, नर्स की हिम्मत मिली। 

ज़िंदगी की जंग मुश्किल, जीतना तुझको मगर,
रोक दूँगा राह सबकी,       मौत भी आये अगर।

सांस तुम लेती रहो बस,      मैं हवा देता रहूँगा,
मौत से लड़ती रहो तुम,       मैं दवा देता रहूँगा।

जंग को तुम जीतकर अब, संग अपने घर चलो।
दीप से जगमग जहाँ फिर, रंग होली कर चलो।

हे जगत जननी भवानी,   क्या दया आती नहीं?
जो हुई नवरात्र में फिर,    क्या तुझे भाती नहीं? 

अब सुनो विनती हमारी,  प्रेम करुणा धार दो।
हम सभी संतान तेरी,      माँ भवानी प्यार दो।
©पंकज प्रियम
Day17@hospital

Sunday, October 17, 2021

929. माँ गौरी

माँ गौरी
हरो माँ कष्ट जीवन का, सकल संताप हर लो माँ।
करूँ आराधना हरदम, सभी तुम पाप हर लो माँ। 
सदा खुशियां ही बाँटी है, किसी का दिल नहीं तोड़ा-
हुई अनजान गर गलती, तो' फिर हर श्राप हर लो माँ।।
कवि पंकज प्रियम

928. अजब झारखण्ड की गजब कहानी

 अजब झारखण्ड की गजब कहानी

व्यंग्य संस्मरण


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जीते जी शोकसभा 

*इससे पहले 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मधुकोड़ा ने सोनिया गाँधी को दी थी श्रद्धाजंलि


खेल-खिलाड़ी और खनिज संसाधनों से परिपूर्ण झारखंड का सियासी गलियारा भी हमेशा चर्चा में रहता है। सियासी पिच पर हमेशा चौके-छक्के लगते रहते हैं। सरकार गिराने से लेकर बनाने और घोटाले घपलों की अमर कहानी तक। आये दिन कुछ ऐसा हो जाता है कि झारखंड दुनियाभर में चर्चा का केंद्र बन जाता है। ताज़ा मामला पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को जीते जी श्रद्धाजंलि और शोकसभा करने का है। झारखण्ड सरकार के कला संस्कृति मंत्री हफीजुल हसन ने एक जनसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जीते जी शोकसभा करवा दी। मधुपुर से पिता हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनकी जगह पर मनोनीत मंत्री हफीजुल हसन ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक दुख की।ख़बर है पूर्व मनमोहन सिंह का निधन हो गया है इसलिए सभी 1 मिनट का मौन रखकर शोकसभा करें। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री का दिल्ली स्थित एम्स में इलाज़ चल रहा है। हफीजुल हसन मधुपुर उपचुनाव में निर्वाचित होकर विधायक बन चुके हैं। इनके पिता हाजी हुसैन अंसारी का झारखंड सरकार में मंत्री रहते हुए निधन हो गया था। झारखंड में कॉंग्रेस-झामुमो गठबंधन की सरकार है और हफीजुल झामुमो कोटे से मंत्री हैं।

 

इससे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मधुकोड़ा ने सोनिया गांधी को श्रद्धाजंलि दे दी थी। उसवक्त मैं ईटीवी राँची में कार्यरत था। 30 अक्टूबर 2007 को राँची स्थित कॉंग्रेस प्रदेश कार्यालय में इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर शोकसभा आयोजित थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मधुकोड़ा श्रद्धांजलि देने पहुँचे और संयोग कवर करने सिर्फ मैं ही था। बाहर निकलते ही मैंने गनमाइक लगा दिया। मधुकोड़ा ने जो बयान दिया उससे मैं चौंक गया-उनके शब्द यूँ थे-माननीया सोनिया गांधी ने इस देश की ख़ातिर अपने सीने पर गोलियां खायी है। आज सोनिया गांधी की शहादत दिवस  है। हम सोनिया गाँधी जी को श्रद्धांजलि देते हैं।"

एकबार ज़ुबान फिसल सकती है लेकिन उन्होंने बार-बार इंदिरा की जगह सोनिया का ही नाम लिया। बस फिर क्या था। मैं भागा अपने ऑफिस और ब्रेकिंग न्यूज़- "मुख्यमंत्री मधुकोड़ा ने दी सोनिया गाँधी को जीते जी श्रद्धांजलि".

उसदिन सिर्फ यही ख़बर चलती रही।  सीएम हाउस हरकत में आ चुका था और ईटीवी का प्रसारण रुकवा दिया। लेकिन तबतक ख़बर की आग लग चुकी थी।सभी नेशनल इंटरनेशनल चैनलों से उस फुटेज की मांग होनै लगी।रात के 2 बजे तक मैं सारे चैनलों को वह फुटेज ट्रांसफर करता रहा। उसवक्त व्हाट्सएप या वीडियो ट्रांसफर की सुविधा नहीं थी। फायरवायर से कैमरा-टू-कैमरा वीडियो ट्रांसफ़र करना पड़ता था। उसवक्त कॉंग्रेस समर्थित सरकार थी। ख़बर ने असर दिखाया और  सूत्रों की मानें तो 10 जनपथ से मधुकोड़ा को माफ़ी मांगने का फरमान सुना दिया गया था। बाद में शायद माफ़ी माँगकर मामला सुलझाया गया। 


ख़ैर झारखण्ड की अपनी अलग खूबसूरती है तो हर चीज एक अलग अंदाज़ में होना भी चाहिए। बस बोलना ही है गीत जहाँ बस चलना ही है नृत्य वहाँ सियासी मैदान में झकझुमर तो बनता ही है। 

जोहार झारखंड

कवि पंकज प्रियम

Saturday, October 16, 2021

927.दो बैल और एक इंजेक्शन

दो बैल और एक इंजेक्शन

बबलू पिछले 10 दिन से अस्पताल में है। उसका नवजात बच्चा वेंटिलेटर पर ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा है। राहत की बात यह है कि उसके पास आयुष्मान कार्ड है जिससे इलाज का खर्च वहन हो जा रहा है लेकिन जब डॉक्टर ने उसे 32 हजार का इंजेक्शन बाहर से खरीदने को कहा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी। 
"लेकिन डॉक्टर साहब मेरे पास तो आयुष्मान कार्ड है और सरकार तो कहती है कि 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज होता है?" बबलू रुंआसा होकर बोला।
"तो क्या हुआ? आयुष्मान कार्ड से यहाँ एक लिमिट में ही इलाज होता है। महंगा दवा और सुई बाहर से ही खरीदना होगा।"  

"लेकिन...डॉक्टर सा....इतना महंगा इंजेक्शन कहाँ से लाएंगे?"
"वो तुम जानो, बच्चे को बचाना है तो इंजेक्शन जल्दी लाओ"- डॉक्टर दो टूक कहकर चलता बना।
बबलू हैरान परेशान, किससे मदद की गुहार लगाए। खेती-मजूरी कर तो मुश्किल से दो वखत का खाना जुगाड़ होता है। जो जमा पूंजी थी वह एम्बुलेंस गाड़ी और 10 हजार एडवांस जमा कर दिया है। गाँव में साहूकार को फोन कर अपने दोनों बैल बेच दिया लेकिन उसके 25 हजार ही मिल पाए।
पैसे लेकर डॉक्टर के पास पहुँचा- "साहेब दो बैल था उसको बेचे तो 25 हजार ही मिल पाया। कोई जुगाड़ कर दीजिए न सुई का!"
"यहाँ कोई खैरात नहीं चलता है जाओ और जुगाड़ कर इंजेक्शन लाओ" -"डॉक्टर ने घुड़की दे दी।
बबलू सर पकड़ कर बैठ गया- दो ही तो बैल थे घर में अब क्या बेचकर इंजेक्शन लायें?
"सुनो! यहाँ तुम्हारे मरीज को संभालना मुश्किल हो रहा है। रेफर कर देते हैं बाहर ले जाओ" थोड़ी देर में अस्पताल एक फरमान आ गया। 
"लेकिन सर आप तो कह रहे थे कि बच्चा ठीक हो रहा है फिर अचानक से रेफर क्यूँ?" बबलू के लिए एक नई मुसीबत आन खड़ी हई। 
"जो कहा जा रहा है वह सुनो! यहाँ अब इलाज़ सम्भव नहीं है।" अस्पताल प्रबंधन ने रेफरल लेटर थमा दिया। 
बबलू की परेशानी और बढ़ गयी। वेंटिलेटर सपोर्ट एम्बुलेंस के साथ बाहर ले जाना मतलब 10 हजार का खर्च। नये अस्पताल में फिर से एडवांस और मत्थापच्ची अलग। बच्चे की जान का सवाल था बहरहाल बबलू अपने बच्चे को वेंटिलेटर पर लेकर राँची के लिए निकल पड़ा यह सोचते हुए कि पता नहीं वहाँ क्या होगा?
©पंकज प्रियम