Wednesday, October 20, 2010

बुद्धू बक्से में सिनेमा

बुद्दू बक्से में सिनेमा


गोकुल धाम में बोबी की हिट जोड़ी ऋषि और नीतू ,ऍफ़आईआर में झूठा ही सही के जोनअब्राहम तो न आना इस देश लाडो में हिस्स की नई नागिन माल्लिका शेरावत..... जी हाँ----- ये नज़ारे अब आम हो गये हैं बड़े बजट की फिल्मे अब छोटे और आम लोगो की सीरियलों पर आश्रित हो गयी है .टेलीविजन से नाक-भौं सिकोड़ने वाले बड़े फ़िल्मी सितारे अब टीवी कलाकारों के पास पहुच अपनी पहचान बताने में जुटे हैं अब इसे फिल्म इंडस्ट्री का नया फ़ॉर्मूला कह ले या फिर उनकी मज़बूरी .......सिनेमा प्रचार का एक नया फंडा शुरू हो गया है ,हिंदी सिनेमा बुद्दू बक्से यानि टेलीविजन के भरोसे रह गया है। टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले करीब-करीब सभी सीरियल और रियलिटी शो में फिल्मो का जलवा देखने को मिलता है। सिनेमा हाल में दर्शको का इंतजार कर रही हो या फिर भविष्य में रिलीज होने वाली फिल्म हो उसका प्रमोशन टीवी पर जरुर देखने को मिल जाएगा। प्रमोशन के लिए भी फिल्मकारों के बीच जबरदस्त होड़ से मची है सीरियल में आने से पहले ही उसका जमकर प्रचार होता है और फिर एक हीरो या हिरोईन किसी सीरियल में दिखे नही की दुसरे में कोई और आने को तैयारफिल्म के प्रमोशन के लिए भी चर्चित और टीआरपीमें आगे चल रहे कार्यक्रमों का चयन किया जाता है। इससे फिल्मवालो को फायदा हो या न हो लेकिन दर्शको को मुफ्त में आपने चहेते सितारों को देखने का मौका मिल जाता है और नई फिल्मो के बारे में जानकारी मिलने के साथ-साथ उसे देखने या न देखने का फैसला कर पाना भी आसान हो जाता है.....शायद ये टेलीविजन की गाँव-गाँव तक पहुच और उसकी लोकप्रियता का भी कमाल है।
-पंकज भूषण पाठक"प्रियम "