Saturday, July 31, 2010

बदलाव...: इडियट बॉक्स की मज़बूरी ...... दुनिया का इडियट आज ...

बदलाव...: इडियट बॉक्स की मज़बूरी ......
दुनिया का इडियट आज ...
: "इडियट बॉक्स की मज़बूरी ...... दुनिया का इडियट आज इस कदर इडियट बन चूका है या यूँ कहे की टीआरपि की जंग से उसे बनने पर मजबूर कर दिया है की गाह..."

इडियट बॉक्स की लाचारी

इडियट बॉक्स की मज़बूरी ......
दुनिया का इडियट आज इस कदर इडियट बन चूका है या यूँ कहे की टीआरपि की जंग से उसे बनने पर मजबूर कर दिया है की गाहे -बगाहे कुछ भी दिखानेको विवश है। धोनी की शादी में सभी न्यूज़ चैनलों को अब्दुल्ला दीवाना बनते पूरी दुनिया में देखा ये अलग बात है की धोनी तो क्या उनके नौकरों ने भी मिडिया को तरजीह नही दी.उसके बाद राहुल और डिम्पी की नौटंकी को भरे बाजार में बेचने का काम किया .पुराणी कहावत थी की जो दीखता है वही बिकता है लेकिन मिडिया ने इसे उलट कर जो बिकता है वही दीखता है कर दिया । ये सच है की बड़े सेलेब्रिटी की हर कदम पर उनके प्रसंसको की नजर होती है लेकिन ऐसी भी क्या मज़बूरी है की दुनिया भर की समस्या को छोड़ सभी समाचार चैनेल उसके पीछे पद जाये। पिछले दो दिनों से हर चैनल पर बस राहुल -डिम्पी की लड़ाई दिखाते रहे ,कोई लफंगा परिंदा ,कोई राहुल रावण आशिक आवारा राहुल जैसे हेडलाइंस लेकर विशेष चलते रहे। दिल टूटने और जोड़ने वाले गानों के साथ मनो शादी का एल्बम देख रहे हो ...हद हो गयी॥ तथाकथित स्वनामधन्य बड़े पत्रकार राहुल के घर से लेकर डिम्पी की चोटखायी नंगी पैरो के साथ वाकथ्रू करने में लगे रहे॥

Tuesday, July 27, 2010

न सीखी चाटुकारी.......



सबकुछ सिखा हमने ,न सीखी चाटुकारी
सच है दुनियावालो की हम है अनाड़ी॥
जो हो तुमको बढ़ना, सीखो होशियारी
आगे-पीछे डोलो ,हां में हाँ तू बोलो
मीठी छुरी मारो,करो जी हुजूरी ॥
नये गुरुकुल की यही है पढाई
तौर -तरक्की के वास्ते जाना इसी रास्ते
चमचागिरी के मन्त्र करो दिल से मक्कारी
तभी बढोगे आगे ,करोगे पत्रकारी ॥
-----पंकज भूषण पाठक 'प्रियम'



सावन


सावन की इस घडी में है तुम्हारा अभिनन्दन प्रिये


खिलती कलिओ की लड़ी से है तुम्हारा अभिनन्दन प्रिये


मस्त बहारो में सुलगते बदन के शोलो में


पुरबा की तीखी कटारोमें है तुम्हारा नमन प्रिये ।


बादल बरसती वर्षा बूंदों में


आंखे तरसती बोझिल नींदों में


घनघोर घटा वरिश की रातो में


बस तुम्हारा है सपन प्रिये ।


आ सजा दू तेरे हाथो में हरी चूडिया


माथे पे लगा दू सूरज सा विन्दिया


नर्म घासों में हरियाली में फूलो की झुकी डाली में


आ भर के बांहों में करू तुम्हारा आलिंगन प्रिये ।


आसमा भीं कर रहा देखो धरा से मिलन


नही होता सब्र अब तो ,उठ रहा दिल में अगन


धरा -गगन की सगाई में


मौसम की मस्त अंगड़ाई में


बना लो आँखों का काजल ,दिल का दर्पण प्रिये


प्रियम का है तुम्हे अभिनन्दन प्रिये ।

-पंकज भूषण पाठक 'प्रियम '

Thursday, July 22, 2010

यही उमीद है.......नेताओं से ...



बिहार विधानसभा में जो कुछ भी हुआ और हो रहा है उसमे आश्चर्य की कोई बात नही है..आज की राजनीती में विधायक,सांसदऔर मंत्रियो से कुछ और उम्मीद नही की जा सकती ..राजनीती में नैतिकता का कोई मोल नही रह गया है और न ही अछे आचरण की आस हैं । ये सिर्फबिहार की बात नही संसदऔर दुसरे विधानसभा में भी इस तरह की घटनाए होती रही है ..हाँ बिहार में स्थिति सबसे बदतर हो गयी हैं। वहां जो कुछ भी हुआ वो निश्चित तौर पर शर्मनाक है और लोकतंत्र के लिए घातक , इस घटना से झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र की याद आ गयी जब एक स्कूल के बच्चे विधायी कार्यो को जानने -समझने के लिए विधानसभा आये थे ,ठीक उसी वक्त एक घोटाले की सीबीआई जाँच की मांग को लेकर विपक्ष ने हल्ला बोल रखा था। विधायको की आपसी गली-गलौज .कुर्सिओ की उठापटक और अनुसासनहीनता का मंजर देख उन नौनिहालों पर कितना नकारात्मक असर पड़ा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है । गाँधी,नेहरु और बल्लभ भाई पटेल जैसे लोग हर किसी के आदर्श है लेकिन आज का कोई भी नेता आदर्श बनने की योग्यता रखता है क्या ? इस हालात और आचरण से तो बिलकुल हो नही .......

पंकज भूषण पाठक,...

Wednesday, July 21, 2010

हाकी...सेक्स....सलेक्शन ....



लगता है रास्ट्रीय खेल हाकी के दुर्दिन आ गये हैं तभी तो विवादों से लगातार घिरता जा रहा है। पहले ख़राब परफोर्मेंस की वजह से अंतररास्ट्रीय स्तरपर पिछड़ना फिर हाकी इंडिया का विवाद और अबतो सबसे बड़ा खुलासा हुआ है सेक्स स्केंडल का ...कोच पर महिला खिलाडी के साथ यौन-दुर्व्यवहार का आरोप लगा है ,साथ ही टीम के साथ जानेवाले एक विडिओग्राफर पर भी वैश्यावृति का आरोप...यूँ फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच के मामले आते रहे हैं लेकिन रास्ट्रीय खेल में इस तरह का मामला सामने आया है जाहिर तौर पर हाकी के दामन पर गहरा दाग लगा है ....झारखण्ड को महिला हाकी की नर्सरी माना जाता है जहाँ की दर्जनों खिलाडियो ने रास्ट्रीय -अंतररास्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है ,लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से झारखण्ड की खिलाडियो के साथ भेदभाव किया जा रहा है उसमे इस घटना ने संदेह के बिज बो दिए हैं...अभी राज्य की एक खिलाडी अन्शुता लकड़ा का चयन रास्ट्रीय टीम में हुए था लेकिन एनवक्त पर उसका नाम हटा दिया गया .....इसके पीछे क्या बजह थी ये तो सलेक्टर और कोच की बता सकते हैं लेकिन इन घटनाओ से हाकी के नर्सरी में आग लग गयी है जो रास्ट्रीय खेल के लिए काफी घातक हो सकती है.....

पंकज भूषण पाठक

Monday, July 19, 2010

रेल हादसा




एक और हादसा ...और जिम्मेवारी ....



रविवार की देर रात एक और दर्दनाक हादसा हो गया .भागलपुर से रांची आ रही वनांचल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। सरकारी आकड़ो के मुताबिक ५० अधिक की मौत और १०० के करीब घायल है लेकिन असली आकडे इससे कहीं अधिक हैं। पिछले ६ महीनो में ४थि और इस महीने की ये दूसरी घटना है जब ट्रेन हादसे में यात्रिओ की जान पे बन आई। हादसा कैसे हुआ और कौन जिम्मेवार है इसके लिए जाँच बैठा दी गयी है मृत और घायलों के लिए मुआवजे का भी ऐलान कर दिया गया ...लेकिन क्या इतना भर से किसी की जिम्मेवारी ख़त्म हो गयी ? यात्री सुरक्षा के नाम पर किराये में अलग से से राशी जोड़ी जाती है और हरबार हादसे के बाद सुरक्षा पर ध्यान देने की बात कही जाती है लेकिन क्या होता है नतीजा वही ढाक के तीन पात .रेल मंत्री ममता बनर्जी ने कह दिया की हादसे के पीछे विरोधियो की साजिश है लेकिन क्या इससे उनकी जिम्मेवारी ख़त्म हो गयी .मंत्री होने के नाते क्या उनकी जवाबदेही नही बनती की रेल सुरक्षा पर ध्यान दिया जाय .क्या बजह है की तमाम कोशिशो के बावजूद रेल हादसे थमने का नाम नही ले रहे हैं ?ट्रेन से सफ़र करनेवाले यात्रिओ के मन में हमेशा असुरक्षा की आशंका बनी रहती है .नक्सली हमले का खौफ हो या फिर हादसे की आशंका ,पूरी रेल यातायात आज संदेह के घेरे में हैं ,झारखण्ड,ओरिसा ,बंगाल और बिहार में तो नक्सलियो के खौफ से रात में कई ट्रेने चल भी नही रही है। ऐसे में देश के सबसे बड़े यातायात व्यवस्था पर कैसे कोई भरोसा करे ?

ग्लैमर की चकाचौंध













ग्लैमर की चकाचौंध...और अँधेरा --





पत्रकारिता के नये स्वरुप और मीडिया जगत की अस्थिरता को देख आज मैं उस दिन को अपने जीवन का सबसे गलत फैसले वाला दिन मानता हू जब इस क्षेत्र में कैरियर बनाने का निर्णय लिया। दुसरे लोगो की तरह मेरे भीतर भी पत्रकारिता को अपना मिशन बनाने का जूनून सवारहुआ। यु तो मीडिया के प्रति मेरा बचपन से ही झुकाव था लेकिन इसे बतौर कैरियर अपनाऊंगा कभी सोचा नही था। ग्रेजुवेशन के बाद सिविल सेवा की तयारी में जुट गया। रांची में एक कोचिंग सेंटर में नामांकन कराकर अपने मित्रो के साथ अच्छी तयारी करने लगा। इसी दरम्यान पत्रकारिता का कीड़ा एकबार फिर कुलबुलाने लगा। लगे हाथ पत्रकारिता विभाग में नामांकन भी करवा लिया और ज्यादा ध्यान उधर देने लगा। इसी बिच आकाशवाणी में ऑडिशन पास कर उद्घोषक भी बन गया रेडिओ में अपनी आवाज देने का सपना पूरा हुआ। अखबारों में भी मेरे आर्टिकल्स छपने लगे फिर क्या था सिविल सेवा की तयारी गयी तेल लेने और मैं चौथे खम्भे पर खड़ा होने को संघर्ष करने लगा। पहले अख़बार और उसके बाद टेलीविजन की पत्रकारिता करने लगा। १० वर्षो के छोटे सफ़र में बहुत बड़ी कामयाबी तो नही लेकिन बहुत कुछ अपने दम पर कर जरुर कर दिखाया। दो-स्टिंग ओपरेशन और कई ऐसी खबरे जिसका व्यापक असर पड़ा और मुझे भी काफी सुकून मिला। खबरों के लिए मैंने अपनी जान की परवाह किये बगैर बहुत कुछ किया लेकिन उसका फलाफल मुझे कुछ नही मिला। मेरी खबरों पर चैनल ने खूब खेला ,मेरी जान पर बन आई लेकिन चैनल की और से न कोई सुरक्षा और न ही एक छोटा सा कम्लिमेंट्स भी मिला। खबरों की दुनिया में इस कदर खो गया की अपनी जिंदगी की ही खबर नही रही। समय अपनी रफ़्तार से गुजरता गया और कितना वक्त निकल गया पता ही नही चला। मीडिया में आने से पहले इसके प्रति जो आकर्षण था जो जूनून था कुछ कर गुजरने का दुनिया में छा जाने का वो अब ख़त्म हो गया। मीडिया की असली तस्वीर को बहुत करीब से देख लिया है मैंने. पत्रकारिता के मायने बदल गये है इसके मन्त्र बदल गये हैं ..इसमें आगे बढ़ने और सफल होने के अलग रस्ते हैं। चाटुकारिता करो ,बोस की सही गलत बातो में हां से हां मिलाओ ,मैनेजमेंट के खिलाफ कभी कुछ कहने का दुस्साहस मत करो .बोस इस आलवेज राईट का फ़ॉर्मूला अपनाओ .गाँधी के तीन मंत्रो की तरह 'कुछ मत सुनो ,कुछ मत देखो और कुछ मत कहो 'को अपना जीवन आधार बनाना होगा और हाँ शराबखोरी तो सबसे बड़ा मन्त्र है इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए ....इन सब चीजो को मैंने नही अपनाया शायद इसलिये मैं थोडा पीछे रह गया लेकिन मुझे संतोष है की मैंने जितना भी हासिल किया अपनी काबिलियत और मेहनत की बदौलत ..इस बात का गर्व है की चापलूसी ,जी हुजूरी और चाटुकारिता के मन्त्र से मैंने खुद को दूर रखा...लेकिन मीडिया के फिल्ड में ये बाते बहुत जरुरी है तभी आप आगे बढ़ सकते हो ...आज मुझे वाकई में बहुत अफ़सोस हो रहा है की इन सब बातो को समझे बगैर इस कष्स्त्र में कूद गया और अपने जीवन का बहुमूल्य समय ख़त्म कर दिया ..खैर बिता समय तो नही लौटता लेकिन इस क्षेत्र की चकाचौंध में आ रहे तमाम नवयुवको से मै यही कहना चाहता हू की अगर पत्रकारिता के इन नये मंत्रो को अपना सकते हो तभी आगे बढ़ो...मीडिया में हम पूरी दुनिया की आवाज उठाते है लेकिन अपनी आवाज उठाने का अधिकार नही है। तमाम प्रयासों के बावजूद भी नौकरी के स्थायित्व की कोई गारंटी नही है ,मंदी के नाम पर जिस तरह से बड़े-बड़े दिग्गज पत्रकरों को भी के मिनट में बाहर का रास्ता दिखा दिया जा रहा है वो गंभीर स्थिति है। जितने भी बड़े पद पर और नाम के पत्रकार हो वो अपने स्थायित्व को लेकर कभी निश्चिंत नही हो सकते... १०-१२ घंटे की शारीरिक -मानसिक मेहनत के बावजूद भी आपको इतनी तनख्वाह नही मिल सकती की आप सुकून की जिंदगी जी सके ,हाँ ऊपर के मंत्रो को अपना लिया तो आपके वारे -न्यारे है.आपकी तनख्वाह अलग होगी इन्क्रीमेंट भी अलग होगी-॥

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Saturday, July 17, 2010

लूट खण्ड

झारखण्ड ... नही लूटखंड

सरप्लस बजट के साथ अस्तित्व में आये झारखण्ड का बजट बिगड़ चूका है। प्राकृतिक खनिज सम्पदा से परिपूर्ण इस राज्य की अधिकांश आबादी कर्ज के दलदल में फंसी है। प्रदेश की आधीआबादी गरीबी रेखा से निचे गुजर बसर कर रही है। शिक्षा,स्वास्थ्य और दूसरी मुलभुत सुविधाओ का भी बुरा हाल है। १० वर्ष की छोटी अवधि में राज्य के हालात तो नही बदले ,सूबे के नेताओ की सूरत और सीरत जरुर बदल गयी। राज्य की अकूत सम्पदा को नेताओ ने किस बेरहमी के साथ लुटा ....पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके सहयोगियो का हाल देख अंदाजा लगाया जा सकता है...कोड़ा समेत आधे दर्जन नेता जेल की सलाखों के भीतर है और उनकी संपत्ति भी जब्त हो रही है। दुसरे नेता पाक -साफ है ऐसी बात नही है लेकिन क्या हैं न पकड़ा गया वो चोर जो बच गया उसकी सिरमौर ....लोगो ने न केवल यहाँ धन को लुटने का काम किया वरन बौद्धिक संपदा पर भी डाका डाला ..जेपीएससी घोटाला ,नेतरहाट नामांकन घोटाला जैसे मामले निश्चित तौर पर भगवन बिरसा ,सिद्धो-कान्हो और शेख भिकारी जैसे आन्दोलनकारियों की शहादत पर पानी फेर रहे हैं .....

Thursday, July 15, 2010

पहले मुर्गी...पहले अंडा


पहले राज्य...पहले घपले का फंदा....
वैज्ञानिको ने मुर्गी और अंडे के पेंच को तो सुलझा लिया की धरती अपर सबसे पहले मुर्गी आई लेकिन झारखण्ड के मसले पर ये सवाल अब ज्यादा प्रासंगिक है। नवगठित झारखण्ड में जिस तरह से हर रोज भ्रस्ताचार के अध्याय जुड़ते जा रहे है ये प्रश्न ज्यादा मुनासिब है की पहले झारखण्ड बना या घोटाले-घपलो का राज्य.सरप्लस बजट के साथ अस्तित्व में आये इस प्रदेश में उपलब्धियां कम,भ्रस्ताचार के मामले अधिक सामने आये..क्या नेता और क्या अफसर हर किसी का दामन भ्रस्ताचार के कालिख से दागदार है। एक रिपोर्ट में झारखण्ड को अफ्रीकन देशो से भी गरीब राज्य की श्रेणी में ला खड़ा किया है। निश्चित तौर आदिवासी हितो का दंभ भरनेवाले नेताओ को शर्म से डूबकर मर जाना चाहिए..

Tuesday, July 13, 2010

क्या लिखूं


क्या लिखू मैं.......
एक अरसा हो गया
जब कुछ लिखा था
जिंदगी की आपाधापी में
खो गया कुछ ऐसा
न अपना होश रहा
न खबर रही दुनिया की
ब्रेकिंग न्यूज़ की जहाँ में
यू उलझ गया..पूछो मत
विसुअल और दो बाईट
शब्दों की हेराफेरी
इसी में सिमटी दुनियादारी
किबोर्ड की खटपट में
खो गयी लेखनी हमारी

दिनभर की दौड़ में
कितना दर्द है क्या कहूँ मैं ..
मर गयी रचना हमारी
कैसे वो जख्म दिखाऊ मैं
अपनी कहानी.अपना फ़साना ..
कैसे और क्या लिखू मैं ....?

क्या लिखू मैं........

क्या लिखू मैं.......

एक अरसा हो गया

जब कुछ लिखा था

जिंदगी की आपाधापी में

खो गया कुछ ऐसा

अपना होश रहा

खबर रही दुनिया की

ब्रेकिंग न्यूज़ की जहाँ में

यू उलझ गया..पूछो मत

Saturday, July 10, 2010

पत्रकारिता...चाटुकारिता....

पत्रकारिता .....चाटुकारिता ......
पत्रकारिता...अरे नीति और सिद्धन्तो से है परे
न ही मेहनत का फल मीठा .न योग्यता की पूछ
जो कर सके जी हुजूरी
उसी की है जय
किसी ने क्या खूब कहा था
हो सके मुकाबिल तो अख़बार निकालो
पर क्या वाकई में है आज ऐसा ?
मुख में राम बगल में छुरी
खूब करो बोस की जी हुजूरी
तभी मिलेगी तुम्हे तरक्की
मिलेगा बोस का प्यार <कंपनी का दुलार
ये बात तुम भी गांठ में बांध लो यार
मेरी तो जमी नही तुम इसे अपनाना
पत्रकारिता के इस नये फोर्मुले से हु अनजान
शराब _कबाब गुटबंदी से हूँ दूर
तभी बढ़ नही पाया <रह गया हूँ नादान .....