Friday, September 17, 2010

क्यों नही तुम आ जाते राम



शुरू हो गयी है फिर से अयोध्या की कहानी
होगा कोर्ट में फैसला ,शुरू हो गयी जुबानी
हे राम तेरे नाम साकेत हो रहा बदनाम
तुझे तरस नही आती,क्यों नही तुम आजाते राम ॥

नही सुलझेगी बाहर, लड़ाई साठवर्ष पुराणी
राम-रहीम के खेल में कितने घर टूट गये
हुए अनाथ बच्चे ,माएं लुटी खूब सरेआम ।
क्या हो गया तुम्हे. क्यों नही तुम आ जाते राम ॥

तुम थे या नही बहस की बात बनी है
कोर्ट के फैसले पर तेरा बजूद टिका है
क्या होगा ,सोच सबकी है नींद हराम
जले फिर से देश सारा ,बेहतर होता आ जाते राम ॥

पाप-पुन्य की लड़ी खूब लडाई
अब है देश को बचने की बारी
पिता वचन की खातिर जो गये वन राम
उसी वचन का वास्ता ,फिर से तुम आ जाते राम ॥
--पंकज भूषण पाठक "प्रियम"



No comments: