बच्चे होते मन के सच्चे
सुनी पढ़ी थी वर्षो हमने
छुट गयी वो बाते पीछे
अब वो नही रहे इतने कच्चे
नानी की अब लोरी नही
पॉप धुन से सोते हैं बच्चे
मत पूछो इनके स्टाइल को
खिलौने से टूटी दोस्ती
साथी बना लिया है मोबाइल को
पहले जब पापा घर आते
तो चोकलेट और मिठाई लाते
अब जरुरत बदल गयी बच्चो की
रिचार्ज और टॉपअप ही मंगाते
पापा हैं परेशां ,मम्मी भी हैरान है
क्या करे बच्चो का क्यों इतने नादाँ है
नही उनके लिए ये सब अच्छे
पर कहाँ मानते हैं आज के बच्चे
No comments:
Post a Comment