नमन मंच
भयानक रस(स्थायी भाव-भय)
बीमारी
यह कैसी बीमारी आयी है?
बस मौत की ये परछाई है।
इस कोरोना महामारी ने,
यहाँ त्राहि-त्राहि मचाई है।
घर-घर भय-आतंक अभी,
मौत से लड़ते जंग सभी।
जो चीन ने की चतुराई है,
यह कैसी बीमारी आयी है।
फैला जबसे रोग यहाँ,
पल-पल मरते लोग यहाँ।
पूरी दुनिया तो घबराई है,
यह कैसी बीमारी आयी है?
अपनों से अपने दूर हुए,
कितने सब मजबूर हुए।
बिन दोष सज़ा ये पायी है,
यह कैसी बीमारी आयी है।
सड़कों पे पसरा सन्नाटा,
खौफ़ से मन ये घबराता।
कहाँ लाशों की उतराई है,
यह कैसी बीमारी आयी है।
क्या राजा क्या रंक अभी,
सबको मारता डंक अभी।
पूरी दुनिया अब थर्राई है,
यह कैसी बीमारी आयी है।
डूब गया अभिमान सभी,
लाचार हुआ विज्ञान अभी।
न इलाज़ न कोई दवाई है,
यह कैसी बीमारी आयी है।
©पंकज प्रियम