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Friday, June 28, 2019

589. इंसान के लिए

ना हिन्दू के लिए ना मुसलमान के लिए,
बहाना है आँसू तो बहा  इंसान के लिए।
©पंकज प्रियम

588. निग़ाहों का समंदर

लहरों पे भी कश्ती चलाना जिसे खूब आता है
निगाहों के समंदर में वो अक्सर डूब जाता है।
©पंकज प्रियम

Friday, December 14, 2018

478.लिहाफ़

ठंड कैसे सताएगी भला तुझको,
मेरी यादों का लिहाफ़ जो ओढ़ा है।
©पंकज प्रियम

Thursday, December 13, 2018

473.हार जीत

दुश्मनी साधकर क्या ख़ाक जीत पाओगे!
दोस्ती का हाथ बढ़ा,दिल भी जीत जाओगे।

©पंकज प्रियम