धरती कहे पुकार के
धरती कहे पुकार के,करुण चीत्कार के
हे मनुपुत्रों अब रखो कदम सम्भाल के।
मानव कर्मों का मिल रहा फल प्रतिक्षण
हरपल धरती का कैसा हो रहा है क्षरण।
पृथ्वी दिवस मनाएं, पर लें अब यही प्रण
सब मिलजुलकर करें वसुधा का संरक्षण।
प्रकृति के साथ चलें हम कदम मिलाकर
नहीं बढ़ाएं हम धरती पे यूँ रोज प्रदूषण।
देख जरा कैसे धरा पल-पल कराह रही
हमसे बस पृथ्वी यही संकल्प चाह रही।
दिया तुझको जीवन,किया है तेरा सृजन
जंगल को उजाड़ कर,न करो चीर हरण।
करोगे जो तुम मेरा, यूँ रोज दोहन अगर
मिटेगा अस्तित्व तो,तुम भी जाओगे मर।
बसा लो खूब तुम,यूँ ही कंक्रीट का शहर
घर होगा पर ,नहीं बचेगा अस्तित्व मगर।
©पंकज प्रियम
22.4.2018
Happy world earth Day