Thursday, January 16, 2020

779. चितवन

चितवन
मुक्तक
1222 1222 1222 1222
बड़ी क़ातिल कटारी है, तुम्हारी धार ये चितवन,
उतर जाती अदा से है, हृदय के पार ये चितवन।
भले हम दूर हों बैठे, अधर खामोश हो फिर भी-
दिलों में बात हो जाती, चले जो यार ये चितवन।।
©पंकज प्रियम
16.1।2020