याद तुझे तो आती होगी-2
ओ परदेसी दौलत उसकी, बेशक़ तुझको भाती होगी,
लेकिन मेरी पाक मुहब्बत, याद तुझे तो आती होगी।
ओ परदेशी मेरी मुहब्बत, याद तुझे तो आती होगी।
बेताबी में......मुझसे लिपटना,
और लजा के खुद में सिमटना।
हरदिन-हरपल.....साँझ-सवेरे,
मेरी बाहों............के वो घेरे।
मेरी धड़कन....... मेरी साँसे, रह-रह के तड़पाती होगी।
ओ परदेसी मेरी मुहब्बत, याद तुझे तो.... आती होगी।
मेरी हाथों में..... वो मुखड़ा,
लगता जैसे चाँद का टुकड़ा।
मेरे कांधे..... सर रख सोना,
ख़्वाबों में वो..... तेरा खोना।
प्यार मुहब्बत की वो बातें, आज भी तो भरमाती होगी,
वो परदेसी मेरी मुहब्बत......याद तुझे तो आती होगी।
लड़ना-झगड़ना, हँसना-रुलाना,
रूठना तेरा..........मेरा मनाना।
नाम मेरा ले ....चाँद को तकना,
तकिये के नीचे ख़त को रखना।
मुझको देखे बिन एक दिन भी, चैन कहाँ तू पाती होगी।
वो परदेसी...मेरी मुहब्बत, याद तुझे तो आती होगी।
धूप-गुलाबी, ....शाम सुहानी
इश्क़-मुहब्बत प्यार रूमानी।
चाँदनी रातें...दरिया किनारा,
मेरी बाहों.... का था सहारा।
याद वो कर के संग की रातें, नींद तेरी उड़ जाती होगी।
वो परदेसी...मेरी मुहब्बत, याद तुझे तो आती होगी।
©पंकज प्रियम
12.1.2021
12:34AM
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