बातें कर बस ज्ञान की
जात-पात की बात करो तुम, बात करें हम ज्ञान की।
ज्ञान तनिक जो पाया होता, तुम करते न अज्ञान की।
हम भी कब कमजोर पड़े हैं? जिसपे अड़े पुरजोर पड़े हैं।
शिखा जो खोली नँद मिटाया, चन्द्र सिंहासन दे के बिठाया।
समझ जो पाते ताकत मेरी, करते न अभिमान की।
ज्ञान तनिक जो पाया होता, तुम करते न अज्ञान की।
जन्म से लेकर मरने तक, कर्म-क्रिया सब करने तक।
हरपल देता साथ तुम्हारा, करता सब उद्धार तुम्हारा।
समझ जो पाते कीमत मेरी, कहते न यूँ नादान सी।
ज्ञान तनिक जो पाया होता, तुम करते न अज्ञान की।
सम्मान के भूखे होते केवल, दान-दक्षिणा सामान नहीं।
आन पे जो आ जाये फिर तो, रोकना है आसान नहीं।
शास्त्र सुशोभित शस्त्र भी उठता, जो बातें आती शान की।
ज्ञान तनिक जो पाया होता, तुम कहते न अज्ञान की।
अपनी बातें भूल भी जाते, राम को तुम कल्पित न बताते,
राम से धरती अम्बर सारा, राम नाम फैला उजियारा।
राम का जो अपमान करेगा, क्या स्तर उसके ज्ञान की?
ज्ञान तनिक जो पाया होता, कहते न अज्ञान की।
कवि पंकज प्रियम
जीतनराम माँझी को तत्काल निष्कासित करते हुए कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। संविधान की शपथ लेने वाला ही अगर संविधान की धज्जियां उड़ाये तो वह किसी कुर्सी के योग्य नहीं है। वैसे भी एक एक्सिडेंटल पूर्व मूर्ख मंत्री से और क्या उम्मीद की जा सकती है? इधर jpsc घोटाले पर पर्दा डालने हेतु विधानसभा में भी एक घटिया बयान दिया गया है।
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