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Friday, January 17, 2020

780.ऐ जाड़

ए जाड़
खोरठा

ए जाड़ ! अब आर नाय सताव
तोहर की हो विचार? तों बताव।

हमारा छोड़, सैह लबे हम
तनी ओकर ख़ातिर सोयच।
रोडा किनारियाम जे हो सुतल,
आख़िर की हो ओकर दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।

भयर दिन कचरा चुनो हो
भयर रायत दीदवा म बुनो हो।
अख़बरवा ओएड़ के सुतो हो
आख़िर की हो ओकर दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।

रेलाक पटरियाक किनारे
खेताम धानक निहारे,
गरीब किसनवाक त सोयच।
आख़िर ओकर की हो दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।

गांवाक उ धंधा कहाँ?
खरिहनाक पोवार कहाँ
एसी के बंद कोठारियाक
घुटन तोरा हो पता?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।

पूषा के सर्द रायत
बर्फ़ हवाक सौगायत।
सरहद पर जे वीर खड़ा
आख़िर ओकर की हो दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।

©पंकज प्रियम

Friday, December 20, 2019

763. जरलाहा जाड़

जरलाहा जाड़
खोरठा गीत

चले लागल हावा किरंग, भींगे रे चुनरिया
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।

थरथर देह कांपे, कटकटाय दंतवाँ,
कनकनी हवा बहे, कंपकँपाय हंथवा।
कमला भी कम पड़े, कम पड़े चदरिया।
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।

पनिया करंट मारे, किरंग हम नहैबे,
खनवा भी पाला मारे, किरंग हम खैबे।
पूजा पाठ किरंग हम, करबै रे पूजरिया,
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।

दिनवा में शीतलहरी, कनकनाय रतिया,
तोर बिना तैनको पिया, नाय भाय रतिया।
बिरहा में किरंग कटतौ, बाली रे उमरिया,
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।

©पंकज प्रियम