जरलाहा जाड़
खोरठा गीत
चले लागल हावा किरंग, भींगे रे चुनरिया
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।
थरथर देह कांपे, कटकटाय दंतवाँ,
कनकनी हवा बहे, कंपकँपाय हंथवा।
कमला भी कम पड़े, कम पड़े चदरिया।
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।
पनिया करंट मारे, किरंग हम नहैबे,
खनवा भी पाला मारे, किरंग हम खैबे।
पूजा पाठ किरंग हम, करबै रे पूजरिया,
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।
दिनवा में शीतलहरी, कनकनाय रतिया,
तोर बिना तैनको पिया, नाय भाय रतिया।
बिरहा में किरंग कटतौ, बाली रे उमरिया,
जरलाहा जाड़ किरंग, लागे रे गुजरिया।
©पंकज प्रियम
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