ए जाड़
खोरठा
ए जाड़ ! अब आर नाय सताव
तोहर की हो विचार? तों बताव।
हमारा छोड़, सैह लबे हम
तनी ओकर ख़ातिर सोयच।
रोडा किनारियाम जे हो सुतल,
आख़िर की हो ओकर दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।
भयर दिन कचरा चुनो हो
भयर रायत दीदवा म बुनो हो।
अख़बरवा ओएड़ के सुतो हो
आख़िर की हो ओकर दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।
रेलाक पटरियाक किनारे
खेताम धानक निहारे,
गरीब किसनवाक त सोयच।
आख़िर ओकर की हो दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।
गांवाक उ धंधा कहाँ?
खरिहनाक पोवार कहाँ
एसी के बंद कोठारियाक
घुटन तोरा हो पता?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।
पूषा के सर्द रायत
बर्फ़ हवाक सौगायत।
सरहद पर जे वीर खड़ा
आख़िर ओकर की हो दोषा?
ए जाड़ अब आर नाय सताव।
©पंकज प्रियम
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