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Wednesday, August 9, 2023

961.मेरा प्यारा वतन

मेरा प्यारा वतन

सारे जग से सुंदर अपना, .........भारत देश रतन।
मेरा प्यारा वतन, ...................मेरा प्यारा वतन।

उत्तर खड़ा हिमायल प्रहरी, ...दक्षिण गहरा सागर।
पूरब में अरुणाचल आभा, पश्चिम गुजराती गौहर।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक, खुशबू बिखेरे चमन।
मेरा प्यारा वतन......................मेरा प्यारा वतन।

धानी चुनर ओढ़ी धरती, ......आँचल यमुना- गंगा।
हिन्द महासागर पांव पखारे, ....शोभे भाल तिरंगा।
सीमा पर शूरवीर खड़े हैं......... सर पे बांध कफ़न।
मेरा प्यारा वतन,.....................मेरा प्यारा वतन।

राम कृष्ण की पावन भूमि, .......महावीर तथागत। 
सत्य अहिंसा पाठ पढ़ाता, .......विश्वगुरु है भारत।
वीरों की इस धरती को............करता विश्व नमन।
मेरा प्यारा वतन......................मेरा प्यारा वतन।

भाँति-भाँति लोग यहाँ के........भिन्न-भिन्न है भाषा।
अनेकता में एकता बल है.......भारत की परिभाषा।
बाल न बांका कर पाया कोई..कर के लाख जतन।।
मेरा प्यारा वतन......................मेरा प्यारा वतन।

वसुधैव कुटुंब की नीति,...........रखते सबसे प्रीति।
दुश्मन को भी प्रेम सिखाना...अपनी अलग है रीति।
रंग सुनहरी धरती न्यारी,......... नीला सारा गगन।
मेरा प्यारा वतन......................मेरा प्यारा वतन।

सारे जग से सुंदर अपना, .........भारत देश रतन।
मेरा प्यारा वतन, ...................मेरा प्यारा वतन।

पंकज प्रियम

Friday, September 7, 2018

426.मुल्क और मीत

मुल्क और मीत
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मितवा मुझे तो जाना होगा,
इस दिल को समझाना होगा 
अपने वतन का साथ निभाने,
अपनों का अब हाथ बंटाने. 
सरहद पे मुझे जाना होगा।
मितवा....।


मितवा अभी तुम आये हो
अंखियन ख़्वाब बसाये हो
थे आतुर तुम आने को
क्यूँ आतुर फिर जाने को?
ये बात मुझे तो बताना होगा।
मितवा तुझे क्यूँ जाना होगा. 


ये मुल्क ही मेरा मीत सजन रे 
रग-रग में बसा गीत सजन रे .
एक नया संगीत बनाने 
देशप्रेम का भाव जगाने.
सरगम सुर से सजाना होगा।
मितवा मुझे तो जाना होगा,.


हाथ की मेंहदी छूटी नहीं रे  
रात खुमारी टूटी नही रे 
भोर हुआ कब नींद जगाने 
क्यूँ आतुर हो विरहा पाने 
मुझको ये समझाना होगा
मितवा तुझे क्यूँ जाना होगा. 


सीमा पर जब चलती गोली
खेलती हमसे खून की होली
रंग ख़ुशी का उसमे मिलाने 
सबके घर एक दीप जलाने
सरहद आग जलाना होगा. 
मितवा मुझे तो जाना होगा,


कुहू -कुहू जब कोयल बोले,
कुहक-कुहक के जियरा डोले
राग मिलन की  फिर से जगाने 
आग विरह की दिल से बुझाने
सागर ज्वार उठाना होगा।
मितवा तुझे क्यूँ जाना होगा. 


सरहद पे जब जंग छिड़ी हो
दुश्मन दो-दो हाथ भिड़ी हो
वक्त नहीं कुछ समझाने को 
रिपुदल मार गिराने को 
शस्त्र मुझे ही चलाना होगा।
मितवा मुझे तो जाना होगा,


ठीक है जाओ लेकिन सुन लो,
बीज मुहब्बत कुछ तो बुन लो. 
प्यार के फूल खिलाने को 
खुद से खुद को मिलाने को 

खाओ कसम तुम मेरे सजन रे 
लौट के फिर तुम्हें आना होगा।
मितवा...
©पंकज प्रियम