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Sunday, December 30, 2018

492.ससुराल बदल दो

साल जो बदला है तो थाली को बदल दो,
कानों में लटकती हुई बाली को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा कमाल तो कर लो
साले को बदल दो औ साली को बदल दो।

साल जो बदला है तो सीवी को बदल दो,
गाड़ी को बदल दो औ टीवी को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा धमाल तो कर लो,
हो गयी पुरानी तो......बीवी को बदल दो।।

साल जो बदला है तो चूल्हे को बदल दो,
दर्द अगर होता है तो कूल्हे को बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा निहाल तो कर लो
हो गया पुराना तो.....दूल्हे को बदल दो।।

साल जो बदला है तो फिर हाल बदल दो,
धीमी पड़ी रफ्तार तो फिर चाल बदल दो।
नए साल में कुछ ऐसा बवाल तो कर दो,
मिल गया ठिकाना तो ससुराल बदल दो।।

साल जो बदला है तो.. सामान बदल दो,
पड़ोसन जो तड़पाये तो मकान बदल दो।
राहुल का मरियम से तो निकाह करा दो,
दहेज में फिर पूरा पाकिस्तान बदल दो।।

©पंकज प्रियम

Tuesday, December 18, 2018

484.बरखा और बिजली

बरखा और बिजली

अरि ओ बरखा! तू आती है
तो क्यूँ बिजली चली जाती है ?

तुम दोनों क्यूँ इतना सताती है
तू आती है वो चली जाती है

तू बरखा और वो है बिजली
कभी सौतन तो कभी सहेली।

उधर तेरा फॉल डाउन हुआ
इधर इसका ब्रेकडाउन हुआ।

तेरा ये टिप-टिप के बरसाना
उसका ट्रिप-ट्रिप से तरसाना।

तेरा कैसा ये आपसी नाता है
हरबार ही मुझको सताता है।

उफ़्फ़!दिसम्बर की ये बारिश
और बिजली की ये साज़िश।

क्यूँ इतना मुझको सताती है
क्या ऐसे ही प्यार जताती है!
©पंकज प्रियम

Sunday, December 16, 2018

481.सर्दी

सर्दी
अरि ओ सर्दी!
तू कितना और गिरेगी
कुछ तो लिहाज़ कर।
कटकटा रहे हैं दाँत मेरे
थरथरा रहे है हांथ मेरे।
नाक से बह रही गंगा-सी धारा
रजाई भी नहीं दे रही है सहारा।
खुद ही खुद से मैं सिमट रहा हूँ
दिनभर बिस्तर से लिपट रहा हूँ।
हाथ-पैर जो हैं सुन्न पड़े
इसलिए हैं अछून्न खड़े।
दो मुट्ठी बांधे जेब भरे
लब कहते हैं हरे-हरे।
तापमान पे कुछ कर कंट्रोल
कितना गिरेगा कुछ तो बोल।
ठंड से क्या तू खुद मरेगी
अरि और कितना गिरेगी?

©पंकज प्रियम
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