वक्त भी अब कैसा मंजर दिखाने लगा है
बाप पर अब बेटा खंजर चलाने लगा है।
रिश्तों की मर्यादा इस कदर तार-तार हुई
के बाप ही बेटी की अस्मत चुराने लगा है।
के बाप ही बेटी की अस्मत चुराने लगा है।
दौलत का नशा इस कदर आंखों में चढ़ा
के आदमी ही आदमी को गिराने लगा है।
के आदमी ही आदमी को गिराने लगा है।
महलों का ख़्वाब उसने ऐसा ही दिखाया
के आदमी खुद बस्तियां जलाने लगा है।
के आदमी खुद बस्तियां जलाने लगा है।
धैर्य अपना इस कदर खो रहा है आदमी
के भीड़ में ही खुद सज़ा सुनाने लगा है।
के भीड़ में ही खुद सज़ा सुनाने लगा है।
दिखावे में इस कदर खो गया है आदमी
शवों के साथ भी सेल्फी खिंचाने लगा है।
शवों के साथ भी सेल्फी खिंचाने लगा है।
वक्त इतना बेशरम हो गया है अब प्रियम
फ़टे कपड़ों का ही फैशन लुभाने लगा है।
फ़टे कपड़ों का ही फैशन लुभाने लगा है।
©पंकज प्रियम