Monday, December 21, 2020

899. मन का विश्वास

 मन में रख विश्वास, सदा तुम आगे बढ़ना,

हर खाई को पाट, पर्वत शिखर पे चढ़ना।।

कर बाधा को पार, तभी मंजिल  पाओगे। 

देखोगे पथ चार, निश्चय डूब जाओगे।।

©पंकज प्रियम