Thursday, June 25, 2020

850.आत्मनिर्भर


आत्मनिर्भर भारत के सपने और चुनौतियाँ

वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को घुटनों के बल खड़ा कर दिया है। क्या इटली, क्या स्पेन क्या, भारत और क्या अमरिका? चाँद और मंगल पर दुनिया बसाने का ख़्वाब देखने वालों को एक वायरस ने औकात दिखा दी। ज्ञान, विज्ञान, धर्म, चमत्कार सबकुछ धरासायी। इस महामारी से बचने का जो रास्ता दिखा वह है सोशस डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन। दुकानें बंद हो गयी, कल-कारखानों में ताले लग गये। खुद को सर्वशक्तिमान समझने वाला मनुष्य घरों में कैद होने को विवश हो गया। ऐसे में भोजन पानी, रोजी रोजगार और रोजमर्रा की जरूरतें कैसे पूरी होती?
कहते हैं कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है तो इस विषम परिस्थितियों में लोगों ने बहुत कम साधन-संसाधनों में जीवन निर्वहन शुरू कर दिया। सैलून बन्द हुए तो कई महिलाओं की ब्यूटी पार्लर की प्रतिभा निखर कर सामने आयी और अपने पति और बच्चों के बाल खुद काट डाले। हमारे राकेश तिवारी जी ने तो ट्रिमर से ही खुद बाल बना लिया। कोरोना के खौफ़ से घरों की बाई, नौकर चाकर भी चले गए और लोगों ने स्वयं कार्य शुरू कर दिया। इसी तरह के अन्य कार्य जिसके लिए हम दूसरों पर आश्रित रहते थे उसे खुद करने लगे। प्रधानमंत्री ने तो आत्मनिर्भर भारत की कल्पना कर डाली और लोगों को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी। यह सही है कि हमें आत्मनिर्भर होना चाहिए और आत्मनिर्भर भारत का सपना किस हद तक पूर्ण होता है यह देखने वाली बात है लेकिन इसकी अपनी चुनौतियां भी है। कई चीजें हैं जिसपर निर्भरता हमारी मजबूरी बन जाती है और यह एक दूसरे के रोजी रोजगार का साधन भी होता है। अगर सारे लोग खुद बाल बनाने लगे तो फिर नाई क्या करेंगे?उनका घर परिवार कैसे चलेगा? यह तो महज़ एक बानगी है ऐसे तमाम लोग एक दूसरे पर निर्भर रहकर सहारा बनते हैं। हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में भी सबके कार्यो का बंटवारा कर सबको रोजी रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की थी जो आज भी बरकरार है। आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न का असली मकसद ख़ुद को इतना सशक्त बनाना है जिसमें किसी कार्य या चीज के लिए बिल्कुल ही निर्भर न रहें। अगर ऐसी विपरीत परिस्थिति आये तो खुद को उसमें ढाल पाएं। इसके अलावे आज हम तकनीक से लेकर रोजमर्रा की कई चीजों के लिए चीन, अमेरिका, जापान जैसे देशों पर आश्रित हैं जिसका नाज़ायज फायदा ये देश उठाते रहें हैं। अगर तकनीक से लेकर हर बात में हम आत्मनिर्भर हो जाएं तो फिर कोई हमारा ग़लत फायदा नहीं उठा सकता। इसके लिए सरकार को छोटे-छोटे उद्योग, व्यापार और शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी। तभी हम सही मायनों में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। 

©पंकज प्रियम

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