Thursday, May 13, 2021

918.अरमान

जान
कटे हैं शाख सब मेरे, अभी पर जान है बाकी।
बचाने की सदा सबको, मेरी पहचान है बाकी।
उजाड़ी है मेरी साँसे,  मगर आधार है जिंदा-
बचा लूँ जान मैं सबकी, यही अरमान है बाकी।।
©पंकज प्रियम

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