प्रेमगीत
चांदनी रात में,......... चांद के पास में,
चांद दीदार,....... मुझको कराना प्रिये।
प्यार से प्यार को, .... प्यार के जाम से,
प्यार पल-पल प्रियम को पिलाना प्रिये।
मैं बनूँ श्याम और तुम बनो राधिका,
बांसुरी मैं बनूँ, ....तुम बनो गोपिका।
सुरमयी शाम से, .....रासलीला सजे,
प्रेम की थाप पर, ...ढोल बाजे बजे।
प्यार से प्यार को, .प्यार के नाम से,
रोज यमुना किनारे, ...बुलाना प्रिये।
चाँदनी रात में.....।
फूल गेंदा, चमेली, कमल बन खिलो,
रातरानी सुवासित, चमन मन मिलो।
रागिनी राग से, उर उठी आग से,
मोरनी कोकिला, निर्झरी बाग में।
तान मुरली मधुर, मन-मिलन आस में,
तुम स्वयं को प्रियम से मिलाना प्रिये।
चाँदनी रात में....
तुम महकता चमन, मैं बहकता पवन,
रत्नगर्भा प्रिया,.... मैं खुला इक गगन।
तुम सुवासित सुमन, मैं मचलता भ्रमर,
मद भरूँ मैं तनिक, दो इजाज़त अगर।
होश मदहोश कर के......नयन वार से,
तीर को पार दिल से......चलाना प्रिये।
चांदनी रात में, .........चांद के पास में,
चांद दीदार,...... मुझको कराना प्रिये।
प्यार से प्यार को, ....प्यार के जाम से,
प्यार पल-पल प्रियम को पिलाना प्रिये।
©पंकज प्रियम
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