Friday, September 1, 2023

965.स्वच्छता गीत

आओ मिलकर साफ करें सब, अपना घर-आंगन।
घर-घर से ही स्वच्छ बनेगा, भारत देश पावन।

अंतरा 1
जहाँ-तहाँ न कूड़ा फेंको, न गंदा जल फैलाओ।
गीला-सूखा अलग करो और कचरे को निपटाओ।
प्लास्टिक से अब नाता तोड़ो, थैले से दिल जोड़ो।
भष्मक में ही पैड जलाओ, सोच पुरातन छोड़ो।।
माहवारी है ऋतु सृजन का, जैसे भादो सावन।
घर-घर से ही स्वच्छ बनेगा, भारत देश पावन।

अंतरा 2
बच्चे-बूढ़े नर-नारी सब, स्वच्छ आदत अपनायें।
शौचालय उपयोग करें सब, नहीं खुले में जायें।
सैप्टिक टँकी नहीं बनायें, ट्विन पीट अपनायें।
घर-बाहर को स्वच्छ करें और सोना खाद बनायें।
गोबरधन का लाभ उठाकर, पाएं खाद जलावन।
घर-घर से ही स्वच्छ बनेगा, भारत देश पावन।

आओ मिलकर साफ करें सब, अपना घर-आंगन।
घर-घर से ही स्वच्छ बनेगा, भारत देश पावन।
©पंकज प्रियम
01.09.2023

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