Sunday, November 5, 2023

975.छठ गीत

कार्तिक मास छठी के बरतिया, महिमा अगम अपार।
कर जोड़ विनती करूँ छठी मैया, मैया कर बेड़ा पार। 

अंतरा1
जोड़े-जोड़े नारियल-नेमुआ, ठेकुआ-फल-पकवान। 
धूप-दीप दौरा-सुप साजे, लेकर आये फूल पान।।
बांस के बहंगिया सजाये, अइली मैया तोरे द्वार।
कर जोड़ विनती करूँ छठी मैया, मैया कर बेड़ा पार।

अंतरा 2
उगहो आदित्य देव जल्दी, जल्दी दरस दिखाय।
घर-बार पूत परिवार, होइह सबपर सहाय। -2
भास्कर भुवन सुरूज देव, तोहरे कृपा से संसार।
कर जोड़ विनती करूँ छठी मैया, मैया कर बेड़ा पार। 
सुरूज कर बेड़ा पार। 

कार्तिक मास छठी के बरतिया, महिमा अगम अपार।
कर जोड़ विनती करूँ छठी मैया, मैया कर बेड़ा पार। 












l

4 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

विश्वमोहन said...

जय छठी मैया।

हरीश कुमार said...

बहुत सुंदर

Admin said...

यार, ये छठ वाली कविता पढ़कर मन बड़ा अपना-सा लगने लगता है। नारियल, ठेकुआ, दौरा–सुप जैसी चीज़ें पढ़ते ही पूरा त्योहार आँखों के सामने आ जाता है। यह गीत सिर्फ पूजा की बात नहीं करता, बल्कि परिवार, सुरक्षा और उम्मीद की भी बात उठाता है।