रंग का उल्लास लिए,
भंग का गिलास लिए,
आओ मिल खेलें होली,
रंग का त्यौहार है।
दहीबड़ा, धुस्का और
गुजिया पकौड़े तलों
ठंडई मिलाके पियो,
चढ़ता खुमार है।
रँगभरी पिचकारी
खेले सभी नर-नारी
गाल में गुलाल डाल
बढ़ता ये प्यार है।
मन में उमंग लिए
दिल में तरंग लिए
नाचो गाओ झूमो चली
फगुआ बयार है।
कवि पंकज प्रियम
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