आंखों में
कारी कजरारी तेरी आँखों में
मादकता भारी तेरी आँखों में
डूबता उतराता हूँ अंदर बाहर
अजब खुमारी तेरी आँखों में।
मादकता भारी तेरी आँखों में
डूबता उतराता हूँ अंदर बाहर
अजब खुमारी तेरी आँखों में।
देखो न यूँ तुम मेरी आँखों मे
डूब जाता हूँ मैं तेरी आँखों में।
कैसे निकलूंगा डूबकर बाहर
गहरा समंदर है तेरी आँखों में.
डूब जाता हूँ मैं तेरी आँखों में।
कैसे निकलूंगा डूबकर बाहर
गहरा समंदर है तेरी आँखों में.
देखो न यूँ तुम मेरी आँखों में
गिर जाता हूँ मैं तेरी बाँहो में
कैसे सम्भलूंगा इसको छूकर
अजब सा नशा तेरी आँखों में।
गिर जाता हूँ मैं तेरी बाँहो में
कैसे सम्भलूंगा इसको छूकर
अजब सा नशा तेरी आँखों में।
देखो न यूँ तुम मेरी आँखों में
गुजर जाता हूँ मैं तेरी राहों में
कैसे बचूँगा यूँ करीब आकर
कटार लहराता तेरी आँखों में।
गुजर जाता हूँ मैं तेरी राहों में
कैसे बचूँगा यूँ करीब आकर
कटार लहराता तेरी आँखों में।
देखो न यूँ तुम मेरी आँखों में
बहक जाता हूँ मैं तेरी बातों में
खिल जाऊंगा बनकर कमल
नीली झील सी तेरी आँखों में।
बहक जाता हूँ मैं तेरी बातों में
खिल जाऊंगा बनकर कमल
नीली झील सी तेरी आँखों में।
©पंकज प्रियम