Wednesday, August 22, 2018

411.आँखों में

आंखों में
कारी कजरारी तेरी आँखों में
मादकता भारी तेरी आँखों में
डूबता उतराता हूँ अंदर बाहर
अजब खुमारी तेरी आँखों में।

देखो न यूँ तुम मेरी आँखों मे
डूब जाता हूँ मैं तेरी आँखों में।
कैसे निकलूंगा डूबकर बाहर
गहरा समंदर है तेरी आँखों में.

देखो न यूँ तुम मेरी आँखों में
गिर जाता हूँ मैं तेरी बाँहो में
कैसे सम्भलूंगा इसको छूकर
अजब सा नशा तेरी आँखों में।

देखो न यूँ तुम मेरी आँखों में
गुजर जाता हूँ मैं तेरी राहों में
कैसे बचूँगा यूँ करीब आकर
कटार लहराता तेरी आँखों में।

देखो न यूँ तुम मेरी आँखों में
बहक जाता हूँ मैं तेरी बातों में
खिल जाऊंगा बनकर कमल
नीली झील सी तेरी आँखों में।
©पंकज प्रियम

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