कोरोना vs होली
कान्हा भर-भर मारना, पिचकारी में रंग।
जी भर के तू खेलना, होली मेरे संग।।
सुन राधा मैं क्या करूँ, कैसे खेलूँ रंग।
कोरोना के खौफ़ से, रंग हुआ बदरंग।।
रंग हुआ बदरंग जो, पड़ता जैसे भंग।
मिलने से भी डर लगे, कैसे खेलूँ संग।।
फूलों के तू रंग से, भरना मेरे अंग।
रंग-उमंग-तरंग से, खेलो होली संग।।
टेसू फूल पलाश से, बनते कितने रंग।
खौफ़ नहीं कुछ रोग का, कर चाहे हुड़दंग।।
©पंकज प्रियम