Friday, March 6, 2020

790. कोरोना होली

कोरोना vs होली

कान्हा भर-भर मारना, पिचकारी में रंग।
जी भर के तू खेलना, होली मेरे संग।।

सुन राधा मैं क्या करूँ, कैसे खेलूँ रंग।
कोरोना के खौफ़ से, रंग हुआ बदरंग।।

रंग हुआ बदरंग जो, पड़ता जैसे भंग।
मिलने से भी डर लगे, कैसे खेलूँ संग।।

फूलों के तू रंग से, भरना मेरे अंग।
रंग-उमंग-तरंग से, खेलो होली संग।।

टेसू फूल पलाश से, बनते कितने रंग।
खौफ़ नहीं कुछ रोग का, कर चाहे हुड़दंग।।

©पंकज प्रियम

4 comments:

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,



आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10 -3-2020 ) को " होली बहुत उदास " (चर्चाअंक -3636 ) पर भी होगी

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा

kavitas harma said...

आपकी सारी रचनाये बहुत ही सुन्दर है ।

Onkar said...

सुन्दर रचना

मन की वीणा said...

सुंदर सृजन।