ग़ज़ल
चल रही है हवा मौत की आजकल,
बेवजह तू कभी भी न बाहर निकल।
फिर सुबह धूप होगी अभी रात जो,
है अँधेरा मगर तुम नहीं हो विकल।
रात तो ये गुजर जाएगी कल सुबह,
जो गुजर तू गया लौट पाये न कल।
मास्क पहनो अभी हाथ धोते रहो,
जंग ये जीत लेंगे तरीका बदल।
मौत से ज़िंदगी खींच लाये प्रियम,
बस भरोसा रखो वक्त के संग चल।
©पंकज प्रियम