Wednesday, April 21, 2021

910.ग़ज़ल आजकल

ग़ज़ल

चल रही है हवा मौत की आजकल,
बेवजह तू कभी भी न बाहर निकल।

फिर सुबह धूप होगी अभी रात जो,
है अँधेरा मगर तुम नहीं हो विकल।

रात तो ये गुजर जाएगी कल सुबह,
जो गुजर तू गया लौट पाये न कल।

मास्क पहनो अभी हाथ धोते रहो,
जंग ये जीत लेंगे तरीका बदल।

मौत से ज़िंदगी खींच लाये प्रियम,
बस भरोसा रखो वक्त के संग चल।
©पंकज प्रियम

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