Sunday, November 3, 2013

ज्योति पर्व मनाएं

*ज्योति पर्व:*

मन से ईर्ष्या द्वेष मिटाके 
नफरत कि ज्वाला बुझाके 
हर दिल में प्यार जगाएं
सत्य प्रेम का दीप जलाएं
आओ ज्योति पर्व मनाएं।

अंधकार पर प्रकाश की
अज्ञान पर ज्ञान की
असत्य पर सत्य की
जीत को फिर दुहराएं
आओ ज्योति पर्व मनाएं।

भूखा -प्यासा हो अगर 
वेवश लाचार ललचाई नजर 
 उम्मीद जगे तुमसे इस कदर 
कुछ पल सही सबका दर्द बटाएं 
आओ ज्योति पर्व मनाएं।

अन्याय से ये समाज 
प्रदुषण-दोहन से धरा आज 
असह्य वेदना से रही कराह 
इस दर्द कि हम दवा बन जाएं
आओ ज्योति पर्व मनाएं।

भय आतंक -वितृष्णा मिटाके 
 बुझी नजरो में आस जगा के
जात धर्म का भेद मिटाके 
शांति अमन का फूल खिलाएं 
आओ ज्योति पर्व मनाएं।

चहुँ ओर प्रेम कि जोत जलाएं
सब मिल ख़ुशी के गीत गाएं
इंसानियत कि जीत का जश्न मनाएं
आओ ज्योति पर्व मनाएं।
©पंकज प्रियम