Saturday, February 3, 2018

इंद्रधनुष

सतरंगी पँखो वाला
बैनीआहपीनाला है
धरती से मिलने को

अम्बर मतवाला है।
बारिश की बूंदों ने
आसमां रंग डाला है।
सूरज की किरणों ने
कितने रंग संभाला है।
हर रंग खुदकहानी
सबरंग मधुशाला है।
बिखरे तो सात रंग
मिल जाय उजाला है।
सात रंग के सपने
सात सुरों की माला है।
धन संपदा बैगनी
शाही जीवन नीला है ।
थीर शांत आसमानी
हरा नवसृजन वाला है।
आस जगाती नारंगी
ऊर्जा प्रतीक पीला है।
लाल लहू का रंग सा
शौर्य साहस भाला है।
न होते जो सात रंग
जिंदगी होता बदरंग
सब सफेद या काला है।
बिखरो उस किरण सा
टूटकर जिसने नभ में
इंद्रधनुष रच डाला है।
जीवन को रंग डालो
ये संघर्षों की हाला है।
जल बूंदों में बिखर के
इन्द्रधनुष रच डाला है।

       ©पंकज भूषण पाठक'प्रियम'
         2.2.2018