Monday, September 3, 2018

423.मुक्तक

मुक्तक

बदन को छू कर तेरे, पवन बेताब हो जाता
अधर को चूम कर तेरे,नशा शराब हो जाता
नहीं कोई करिश्मा है,तुम्हारा हुश्न ऐसा है
नज़र में डूबकर तेरे,इश्क़ बेहिसाब हो जाता।

©पंकज प्रियम