संहार करेगी
कुचल डालो सर उसका, जिसने भी दुष्कर्म किया,
मसल डालो धड़ उसका,जिसने भी यह कर्म किया।
नहीं क्षमा ना दो संरक्षण, ना मज़हब का दो आरक्षण,
हर दुष्कर्मी को दो फाँसी, जो करते जिस्मों का भक्षण।
काट डालो उन पँजों को,जिसने अस्मत को तार किया,
मानव तन में छुपे भेड़िये, जिसने जीवन दुश्वार किया।
बालिग़ हो या नाबालिक, सबको दण्डित करना होगा,
जिसने भी ये पाप किया, उसको खण्डित करना होगा।
खोलो आँखों से अब पट्टी, कबतक मौन रहोगी देवी,
न्याय करो अब नजरों से, कबतक गौण रहोगी देवी।
इंसाफ की ऊंची कुर्सी भी, क्यूँ न देती अब न्याय यहाँ,
छूट जाता अपराधी हरदम, क्यूँ होता है अन्याय यहाँ।
बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ का महज नारा न होने देना।
चमक चाँदनी रातो में भी, तुम ध्रुव तारा न खोने देना।
हर बेटी का अभिमान बचे, हर बेटी का सम्मान बचे,
जननी भाग्य विधाता सी , हर बेटी का अरमान बचे।
नहीं मिलेगा न्याय अगर तो हर बेटी तलवार बनेगी,
बन चामुण्डा बन काली, दुष्कर्मी का संहार करेगी।।
©पंकज प्रियम