Sunday, August 23, 2020

868. ज़िन्दगी


ज़िन्दगी मिली है यार, जियें जैसे दिन चार,
खुद हँसें रोज और सबको हंसाइये।

चाहे दुःख कितना हो, चिंता चाहे जीतनी हो,
मन में उमंग भर, खुशी बरसाइये।

ज़िन्दगी है अनमोल, समझें अगर मोल,
हर दिन हर पल,  इसको बचाइये।

ज़िन्दगी से बढ़कर, नहीं होता कुछ और
इसको को बचाना कैसे, सबको बताइये।।

छोड़ चिंता लटपट, मत कर खटपट, 
समझ के झटपट, जिन्दगी बचाइये।

राग नहीं द्वेष नहीं, रार रखें शेष नहीं,
प्रेम कर सबको, दिल में बसाइये।

व्यस्त रहें मस्त रहें, खूब अलमस्त रहें, 
योग ध्यान साधना में, मन को रमाइये।

दिल खोल सब कहें, नहीं कभी चुप रहें
दर्द जब पिघले तो, दरिया बहाइये।
3
तन मन तब धन, यही मंत्र जीवन,
ध्यान रख इसका ही, जीवन सँवारिये।

अपनो से प्यार कर, सबको दुलार कर, 
मित्र व्यवहार कर,  प्रेम बरसाइये।

हार-जीत छोड़कर, संग-संग साथ चल,
मन अवसाद हर, खुशियाँ मनाइये।

जिन्दगी है वरदान, उपहार भगवान,
मोल को समझकर, खुद को बचाइये।

©पंकज प्रियम