Monday, December 21, 2020

898. खौफ़ का साल

 खौफ़ में गुजरा है ये जो साल कैसा।

कैद में रहकर तो हुआ हाल कैसा।

चीन के वायरस से यहाँ कोरोना फैला-

चैन लूटने को आया काल कैसा।।


खौफ़ में गुजरा है जो ये साल बदल दो।

साल जो बदले तो ये भी काल बदल दो।

नववर्ष में उम्मीद नई आस जगाकर-

स्वदेश की वैक्सीन से चाइना माल बदल दो.

 

पंकज प्रियम 

 

 

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