खौफ़ में गुजरा है ये जो साल कैसा।
कैद में रहकर तो हुआ हाल कैसा।
चीन के वायरस से यहाँ कोरोना फैला-
चैन लूटने को आया काल कैसा।।
खौफ़ में गुजरा है जो ये साल बदल दो।
साल जो बदले तो ये भी काल बदल दो।
नववर्ष में उम्मीद नई आस जगाकर-
स्वदेश की वैक्सीन से चाइना माल बदल दो.
पंकज प्रियम
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