Friday, May 20, 2022

941.गंगा-यमुना

ये गंगा भी हमारी है, ये यमुना भी हमारी है।
वो भोलेनाथ की प्यारी, वो कान्हा की दुलारी है।
भला किसने इन्हें ऐसे, यहाँ मज़हब में हैं बांटा-
मिले संगम में जब दोनों, बड़ी लगती ये प्यारी है।
कवि पंकज प्रियम 

गंगा-जमुनी नहीं गंगा-यमुना

गंगा-जमुनी नहीं गंगा-यमुना

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