*शाकद्वीपी*
सूर्य अंश से उपजे हम सब, सूर्य समान प्रतापी हैं।
श्रेष्ठ कुल के जन्मे हम सब, ब्राह्मण शाकद्वीपी हैं।
वेद-पुराण में चर्चा अपनी, संगीत-चिकित्सक, ज्ञानी हैं।
ब्राह्मण सर्वोत्तम कहलाते, धीर-वीर, अभिमानी हैं।
सूर्य अस्त के बाद श्राद्धकर्म, सूर्य वरण अधिकारी हैं,
मूल मगध के वासी मग हम, भास्कर-भुवन पुजारी हैं।
साहित्य, कला, संगीत, चिकित्सा में सर्वव्यापी हैं।
श्रेष्ठ कुल के जन्मे हम सब, ब्राह्मण शाकद्वीपी हैं।
पुत्र साम्ब को कुष्ठ हुआ तब, चिंतित राधेश्याम हुए।
परिवार अठारह शाकद्वीप से जम्बूद्वीप में बुलवाए।
आध्यात्म चिकित्सा के बल पे, रोग साम्ब का दूर किया।
मगध नरेश के आग्रह पर, कान्हा ने बहत्तर पुर दिया।
चाणक्य, वराहमिहिर, आर्यभट्ट, बाणभट्ट विद्वान बड़े,
सत्य-सनातन, धर्म-स्थापन, की ख़ातिर मिलते खड़ें।
धर्म ध्वजा को धारण करके, हमने दुनिया नापी है।
श्रेष्ठ कुल में जन्मे हम सब, ब्राह्मण शाकद्वीपी हैं।
*©कवि पंकज प्रियम*
2 comments:
बहुत ही बढ़िया कविता. पढ़कर मन हर्षित हुआ. बधाई और शुभकामनाएं.
बहुत सुंदर शुरुआत पंकज!
बहुत ही अच्छी कविता बन पड़ी है।
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