Monday, June 26, 2023

957.सुन लो धरा तुम

ये आसमां क्या कह रहा है, सुन लो धरा तुम।
बरसात की बूंदों को जरा, चुन लो धरा तुम। 
जो बून्द गिरे उसको फ़क़त बून्द न बूझो-
ये बीज मुहब्बत के गिरे, बुन लो धरा तुम।।
कवि पंकज प्रियम

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