Monday, September 16, 2024

998. मंज़िल

मंजिले मिलती उन्हीं को, जो समय के संग हो। 
ज़िन्दगी का हो सफ़र या, मौत-जीवन जंग हो।

हार में क्या? जीत में क्या?
प्रेम में क्या? प्रीत में क्या?

1 comment:

Admin said...

समय के साथ चलना ही असली जीत है, चाहे ज़िन्दगी हो या उसकी लड़ाई। हार-जीत, प्रेम-प्रीत सब कुछ तो वक्त के ही रंग हैं। जब हम समय के साथ सामंजस्य बिठाते हैं, तभी मंजिलें मिलती हैं। ये बात इतनी सीधी और समझने वाली है कि हर कोई कभी न कभी महसूस करता है। मुझे लगता है कि जिंदगी की असली खूबसूरती भी यहीं छुपी है, समय के साथ चलना, बदलाव को गले लगाना और हर हाल में उम्मीद बनाए रखना।