Sunday, October 20, 2024

1000. शिवायन

*दोहा*
जन रामायण पूर्ण कर, कृष्णायन का नाम।
मातुपिता आशीष से, किया शिवायन काम।।

भोलेशंकर की कथा, आदि अनादि अशेष। 
प्रियम समर्पित साधना, ग्रंथ शिवायन भेष।। 2

*चौपाई*
शिवशक्ति की महिमा न्यारी। ग्रंथ शिवायन गाथा प्यारी।।1
अद्भुत अनुपम रचना प्यारी। सत्य सनातन महिमा न्यारी।। 2
कण-कण भारत काव्य बना है। सबके मन का भाव सना है।।3
शिव का वर्णन सरल कहाँ है।
कण भर कोशिश हुई यहाँ है।।4
सत्य स्वरूप शिवायन सुंदर।  स्थापित हो यह घर के अंदर।।5
सबने पूरी की है निष्ठा।वेद ग्रन्थ सी मिले प्रतिष्ठा।। 6
हर दिन पूजन करे जो इसका। पूर्ण मनोरथ हो सब उसका।। 7 
ग्रन्थ शिवायन शिव को अर्पण। 
करे प्रियम निज भाव समर्पण।।8

*दोहा* 
शिव शक्ति के प्रेम का, अद्भुत हुआ बखान। 
सत्य शिवायन साधना, बने सुग्रन्थ महान।। 3

*चौपाई*
आदिशक्ति की प्रीत पुनीता। जनम-जनम में रही विनीता।। 9
बमभोले की है वो प्यारी। मातु भवानी महिमा न्यारी।। 10
शिवशक्ति का रूप मनोरम। पुरूष प्रकृति का है संगम।। 11
जग कल्याण के हेतु हरदम। त्याग समर्पण करते बमबम।।12
व्याघ्रछाल नरमुण्ड की माला, कण्ठ सुशोभित करते हाला।।13
जटाजूट से गङ्गा धारा। भाल सुशोभित चंदा न्यारा ।। 14
भस्म लपेटे तन में सारे। कानन-कुण्डल बिच्छू प्यारे।।15
डम-डम डमरू नाद भयंकर, ले त्रिशूल ताण्डव कर शंकर।। 16
दानव-मानव सबके प्यारे। बमभोले हैं जगत दुलारे।।17
भेदभाव से परे हैं शंकर। अभयदान देते अभ्यंकर।। 18
सहज सरल हैं बमबम बोले। बेल-धतूरे से मन डोले।। 19
पूजा जपतप ध्यान जरूरी। मनोकामना करते पूरी ।। 20

 *दोहा*
सत्य साधना से सृजित, पूर्ण मनोरम काम।
शिव को समर्पित ग्रन्थ ये, रचा शिवायन नाम।।4

*चौपाई*
पन्द्रह सर्गो में संपादित। दो खण्डों में है ये सर्जित।। 21
प्रथम खण्ड में गाथा सुंदर। द्वितीय खण्ड में युद्ध भयंकर।। 22
डेढ़ शतक कवियों ने मिलकर। किया सृजन यह ग्रन्थ मनोहर।।23
ग्रन्थ शिवायन काव्य महातम। सकल जगत में है यह उत्तम।।24
नितदिन जो भी पाठ करे वो। कभी काल से नहीं डरे वो ।। 25
काल अकाल निकट नहि आवै। मोक्ष प्राप्त कर शिव को पावे।। 26
कहे प्रियम यह ध्यान लगाकर। तृप्त हुआ मन ग्रन्थ को पाकर।। 27
शिवशक्ति की गाथा पावन। सत्य साधना ग्रंथ शिवायन।। 28

दोहा- 
भोलेशंकर की कृपा, मिला अम्ब वरदान।
ईश्वर के आशीष से, पूर्ण हुआ अवदान।।

  
पंकज प्रियम

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