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Wednesday, September 2, 2020

873 .कोरोना काल मंहगाई

कोरोना में मंहगाई

आलू को बुखार चढ़ा, टमाटर लाल हुआ,
कोरोना से बचे भी तो, नहीं बच पाएंगे।

पार अस्सी पेट्रोल है, डीजल भी कम नहीं,
आग लगी मंहगाई, गाड़ी न चलाएंगे।।

रोजी-रोटी सब गयी, फांकाकशी चल रही,
ऐसे में इलाज भला, ख़ाक करवाएंगे।।

मिले नहीं रोजगार, मौज में है सरकार, 
खरीदे के नई कार, चढ़ के चिढाएंगे।।

जीडीपी का गिर जाना, लाज़िम है सरकार, 
बन्द जब सबकुछ, नीचे ही गिराएंगे।

गिरे सब नेता जब, गिरे सारे अफसर,
खुद ही जो गिर गये, किसको उठाएंगे। 

खर्च सब घट गया, वेतन भी कट गया,
खर्चा पर सरकारी, कब से घटाएंगे।

नेता को कोरोना हुआ, बंगला ही मिल गया,
फिलिम देखन लिए, नेट लगवाएंगे।।
कवि पंकज प्रियम

Friday, August 21, 2020

867. राम नाम कहिये

राम नाम भजिये

राम नाम जप यार, होगा तब बेड़ा पार।
प्रभु कृपा तनमन, राम राम भजिये।

राम कृपा तनमन, राम कृपा जनगण,
रामकृपा सबकुछ, राम राम कहिये।

गङ्गाजल कलकल, पानी सरयू निर्मल,
केवट उद्धार किया, राम नाम बहिये।

अहल्या उद्धार किया, ताड़का संहार किया।
वही प्रभु राम पथ , संग-संग रहिये।

©पंकज प्रियम

866. आपदा में अवसर

आपदा में अवसर,

कोरोना के काल में, हॉस्पिटल मालामाल,
काट रहे चाँदी कैसे, किसको बताएंगे।

इलाज के नाम पर, लूट रहे बारबार
दिन एक लाख-लाख, कहाँ से जुटाएंगे।

मरीज है परेशान, संगी साथी हलकान,
सबका ही एक हाल, किसको बचाएंगे।

आपदा में अवसर, कहते हैं इसको ही,
लाश का क़फ़न बेच, कार को सजाएंगे।।
कवि पंकज प्रियम