कोरोना में मंहगाई
आलू को बुखार चढ़ा, टमाटर लाल हुआ,
कोरोना से बचे भी तो, नहीं बच पाएंगे।
पार अस्सी पेट्रोल है, डीजल भी कम नहीं,
आग लगी मंहगाई, गाड़ी न चलाएंगे।।
रोजी-रोटी सब गयी, फांकाकशी चल रही,
ऐसे में इलाज भला, ख़ाक करवाएंगे।।
मिले नहीं रोजगार, मौज में है सरकार,
खरीदे के नई कार, चढ़ के चिढाएंगे।।
जीडीपी का गिर जाना, लाज़िम है सरकार,
बन्द जब सबकुछ, नीचे ही गिराएंगे।
गिरे सब नेता जब, गिरे सारे अफसर,
खुद ही जो गिर गये, किसको उठाएंगे।
खर्च सब घट गया, वेतन भी कट गया,
खर्चा पर सरकारी, कब से घटाएंगे।
नेता को कोरोना हुआ, बंगला ही मिल गया,
फिलिम देखन लिए, नेट लगवाएंगे।।
कवि पंकज प्रियम
No comments:
Post a Comment