आपदा में अवसर,
कोरोना के काल में, हॉस्पिटल मालामाल,
काट रहे चाँदी कैसे, किसको बताएंगे।
इलाज के नाम पर, लूट रहे बारबार
दिन एक लाख-लाख, कहाँ से जुटाएंगे।
मरीज है परेशान, संगी साथी हलकान,
सबका ही एक हाल, किसको बचाएंगे।
आपदा में अवसर, कहते हैं इसको ही,
लाश का क़फ़न बेच, कार को सजाएंगे।।
कवि पंकज प्रियम
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