Monday, April 29, 2019

546. मन उदास है

मन उदास है।

तू किसी और के जो अब पास है
मेरा मन इसलिए बहुत उदास है।

देख लेना झांक कर तुम अंदर
दिल मेरा भी तुम्हारे ही पास है।

तेरा दावा की नूर छीन लिया मैंने
मेरा भी चैन तुम्हारे आसपास है।

तू ही तो हो मेरी पहली मोहब्बत
तू ही तो मेरा पहला अहसास है।

तेरे लबों की हंसी मेरी थी खुशी
तेरे लिए अब कोई और खास है।

फूलों से महकते तेरे घर के रस्ते
वो पगडंडिया भी अब उदास है।

निगाहों में डूबा रहता था अक्सर
अश्कों से अब बुझ रही प्यास है।

सुबह की धूप भी लगती है कड़ी
रात में चाँद भी दिखता निराश है।

पथरा गयी है अब ये आँखे मेरी
सूरज के संग ढलती अब आस है

©पंकज प्रियम