Wednesday, January 17, 2024

983.राम अवध में आये हैं

घर-घर दीप जलाओ रे, मंगल गीत सुनाओ रे।
वर्षों का वनवास बिताकर, जनमन में विश्वास जगाकर
फिर अपने घर में आये हैं, सियाराम अवध में आये हैं।

पग-पग पलक बिछाओ रे, प्रेम पुष्प सजाओ रे।
मर्यादा का पाठ पढ़ाकर, जीती लंका मारके ठोकर
नंगे पांव ही चलकर, स्वामी जगत के आये हैं। 
सियाराम अवध में आये हैं।