समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का, मुझे खामोश रहने दो, छुपा है इश्क़ का दरिया, उसे खामोश बहने दो। नहीं मशहूर की चाहत, नहीं चाहूँ धनो दौलत- मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो। ©पंकज प्रियम
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" गुरुवार 18 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना जय श्री राम
सुन्दर
वाह! बहुत सुन्दर सृजन!
बहुत ही सुन्दर सृजन
बहुत ही सुंदर सृजन ।जय श्रीराम🙏🙏
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,जय श्री राम
सुन्दर गीत... जय श्रीराम!
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8 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" गुरुवार 18 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
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वाह! बहुत सुन्दर सृजन!
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जय श्री राम
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